लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र

बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2640
आईएसबीएन :000000000

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 9

वणिकवाद

(Mercantilism)

 

प्रश्न- वणिकवाद क्या है? वणिकवाद के प्रमुख आर्थिक विचारों की आलोचना कीजिए।

उत्तर -

15वीं शताब्दी के आरम्भ में हमको कुछ ऐसे निश्चित चिन्ह दिखाई देते हैं जिनके आधार पर हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र का जन्म एक उमड़ते हुए विज्ञान के रूप में हो चुका था। उस समय तक लोगों ने अपनी आर्थिक समस्याओं के आर्थिक पहलुओं को समझना आरम्भ कर दिया था और वे आर्थिक सिद्धान्तों के निर्माण में भी रुचि लेने लगे थे। इन तीन शताब्दियों (15वीं, 16वीं तथा 17वीं) में अर्थशास्त्र की एक धुंधली सी रूपरेखा निर्धारित हो चुकी थी। इस समयावधि के दौरान राज्य की नीतियों एवं राजनीति में आर्थिक मुद्दों को अधिक महत्त्व दिया जाने लगा। इस काल में जो आर्थिक विचार प्रचलित थे, उनको सामूहिक रूप से 'वणिकवाद' का नाम दिया गया है। वणिकवाद मध्यकालीन जीवन के विरोध में एक क्रान्ति था। लैकचमैन के अनुसार, “रोड़े अटकाने वाले मध्यकालीन विचार और व्यवहार के विरुद्ध एक युद्ध था। "

वणिकवाद उन सिद्धान्तों, नीतियों और रीति-रिवाजों की ओर संकेत करता है जो तात्कालिक परिस्थितियों के कारण उत्पन्न हुए थे और जिनके द्वारा राष्ट्रीय राज्य आर्थिक क्षेत्र में अपनी शक्ति, धन और समृद्धि बढ़ाने का प्रयत्न कर रहा था। आर्थिक क्षेत्र में व्यापार और वणिज्य का महत्त्व बढ़ता जा रहा था। अब एक नया वर्ग उत्पन्न हो गया था जिसे व्यापारी वर्ग कहा जाता था। व्यापारी तथा राजा दोनों के हित समान थे। राजा को धन और शक्ति की आवश्यकता केवल अपने लिए ही नहीं, वरन् अपने जनता के कल्याण के लिए भी थी। व्यापार को ही इस उद्देश्य की पूर्ति का एक उत्तम स्रोत माना गया था। मध्यकालीन व्यवस्था ने जो व्यापार को स्थानीयता की जंजीरों में जकड़ रखा था, मुक्त हो गयी और मध्यकालीन युग की गतिहीन, आर्थिक एवं सामाजिक एकता को छिन्न-भिन्न कर दिया था। हीमैन के अनुसार, 'वणिकवाद' व्यापारिक पूँजीवाद का दूसरा नाम था जिसकी स्थापना आदर्शवादी सिद्धान्तों के अनुसार हुई थी।

वणिकवाद के आर्थिक विचारों की आलोचना

वणिकवाद का विरोध 17वीं शताब्दी के अन्त में ही प्रारम्भ हो चुका था। वास्तव में, इसका पतन उसी समय आरम्भ हो गया था जबकि अधिक उदार विचार वाले वणिकवादियों, फ्रांस में काल्बर्ट और इंग्लैण्ड में पैटी, लॉक और नार्थ ने राजा की नीतियों के विरुद्ध आवाज उठानी आरम्भ कर दी थी। पैटी ने व्यापार की स्वतन्त्रता की वकालत की और रूढ़िवादी वणिकवादियों के मुद्रा तथा मूल्य-सम्बन्धी सिद्धान्तों के सम्पूर्ण ढाँचों को तहस-नहस कर दिया। लॉक ने व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के लाभ को दर्शाया और वणिकवाद की मौलिक अवधारणा को चुनौती दी। नार्थ सबसे अधिक कट्टर तथा तीखा आलोचक था। उसने घरेलू व्यापार, कृषि तथा उद्योगों को महत्त्व दिया। उसका कहना था कि केवल सोना व चाँदी ही धन नहीं होते। वह इसके पक्ष में भी न था कि व्यापारियों के विशेष समूह को विशेष अधिकार दिया जाय। संक्षेप में, वह एक स्वतन्त्र विचारक था।

रोजर कोक, निकोलस बरबॉन और चार्ल्स देवना ने भी वणिकवाद की आलोचना की। विदेशी व्यापार पर सरकारी नियन्त्रण के विरुद्ध अशान्ति की जो ज्वाला भड़क रही थी, उसे इन लेखकों ने और भी उत्तेजित कर दिया। वणिकवाद के आलोचक फ्रांस में विशेष रूप से बहुत अधिक हुए थे और इसकी आलोचना भी फ्रांस में ही अधिक हुई थी। वास्तव में काल्बर्ट की नीतियों से कृषि की दशा बिगड़ गयी थी पर बहुत अधिक बढ़ गयी और राजदरबार का पतन हो गया था। 17वीं शताब्दी में फ्रांस में प्रकृतिवादियों ने वणिकवाद की आलोचना थी और नये सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया। 18वीं शताब्दी के अन्त में एडम स्मिथ ने अपनी पुस्तक 'Wealth of Nations' के एक-चौथाई भाग में केवल वणिकवाद की ही आलोचना की। उसने वणिकवादी नेताओं और सिद्धान्तों के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप लगाये

(1) अन्य वस्तुओं के महत्त्व को गिराकर केवल सोने व चाँदी को ही महत्त्व दिया गया।

(2) कृषि तथा मानव श्रम के अन्य रूपों की अपेक्षा केवल व्यापार एवं उद्योग पर ही जोर दिया गया। उनका यह सोचना भ्रमपूर्ण था कि अनुकूल व्यापार सन्तुलन ही देश की सम्पन्नता का एकमात्र साधन होता है।

(3) यह विश्वास भी गलत था कि व्यापार में एक राष्ट्र के लाभ से आवश्यक रूप से दूसरे राष्ट्र की हानि होती है।

(4) मूल्य तथा उद्योग सम्बन्धी विचार उलझे हुए थे।

(5) पूँजी तथा ब्याज सम्बन्धी विचार भी अपूर्ण थे।

(6) यह विचार कि व्यक्ति और राज्य दोनों के हित एक-दूसरे के विपरीत होते हैं, संकीर्ण दृष्टिकोण का परिचायक है।

रोशर के अनुसार वणिकवादियों ने इन बातों को अत्यधिक महत्त्व देकर ठीक नहीं किया था: (1) एक बड़ी और घनी जनसंख्या, (2) देश में मुद्रा की मात्रा, (3) विदेशी व्यापार, (4) निर्माण उद्योग, (5) राज्य।

अतः स्पष्ट है कि वणिकवादी प्रणाली के अपने ही दोष थे। आर्थिक नीति के रूप में उसमें सर्वव्यापकता की कमी थी और सिद्धान्त के रूप में यह तात्कालिक राजनीतिज्ञों का सही मार्गदर्शन नहीं कर पाया था। इसलिए कुछ आलोचनाएँ अवश्य ही न्यायपूर्ण थी। उन्होंने बहुमूल्य धातुओं की अत्यधिक महत्त्व देकर उद्देश्यों तथा साधनों के बीच गड़बड़ी सी उत्पन्न कर दी थी। राष्ट्र की उत्पादकता को बढ़ाने के जोश में उन्होंने यह समझा कि सम्पदा और उसको उत्पन्न करने वाला श्रम ही मानव अस्तित्व का अन्तिम लक्ष्य होना चाहिए। इसके अतिरिक्त उनका यह समझना कि व्यापार में केवल एक देश का ही लाभ होता है, स्पष्ट रूप से इस बात का परिचायक है कि उनको यह तनिक भी ज्ञान नहीं था कि व्यापार से सभी देशों को लाभ पहुँचता है।

प्रो० ग्रे ने ठीक ही कहा है कि ये आलोचनाएँ दो गलतफहमियों के कारण हुई थी :

प्रथम, आलोचकों ने यह समझा था कि उनके सिद्धान्तों का एकमात्र उद्देश्य व्यापार - सन्तुलन सम्बन्धी सिद्धान्त में ही निहित था।

द्वितीय, उन्होंने यह समझकर भी गलती की थी कि वणिकवादियों के लिए केवल सोना और चाँदी महत्त्वपूर्ण थे, अपेक्षाकृत उन वस्तुओं के जो उनके द्वारा खरीदी जा सकती थी। उस समय की परिस्थिति को देखते हुए उन्होंने जो कुछ कहा, वह ठीक ही था और उनको केवल उतना ही कहना था कि सोने और चाँदी द्वारा शक्ति प्राप्त की जा सकती थी। वे निर्यातों पर अधिक बल देते थे क्योंकि वे चाहते थे कि प्रत्येक देश स्वावलम्बी बने।

सारांश में उन्होंने जो कुछ कहा, उस युग की समस्याओं को देखकर उचित ही था और प्रो० ग्रे ने जैसा कि कहा है कि “वणिकवादी निश्चित रूप से ऐसे मूर्ख नहीं थे जैसे कि 19वीं शताब्दी के मध्यकाल में समझे जाते थे। वणिकवादी व्यावहारिक व्यक्ति थे, वे अर्थशास्त्रियों का एक सम्प्रदाय नहीं थे।"

वणिकवादी केवल व्यावहारिक प्रबन्धक और व्यापारी ही नहीं थे, उन्होने कुछ ऐसे व्यवहार भी प्रस्तुत किये जिनके द्वारा आधुनिक काल में विभिन्न आर्थिक सिद्धान्तों की रचना हुई है।

कीन्स ने वणिकवादियों की एक जगह प्रशंसा करते हुए लिखा है कि "निवेश के प्रलोभन की अपेक्षा बचत करने की प्रवृत्ति सदैव ही मानव जाति के इतिहास में अधिक शक्तिशाली रही है। इस बात को ध्यान में रखे बगैर वणिकवादी सिद्धान्तों का अध्ययन करना असम्भव है क्योंकि उनके सिद्धान्त व्यावहारिक अनुभवों पर आधारित थे। मानव व्यवहार की इसी कमजोरी ने सभी युगों में आर्थिक समस्याओं को जन्म दिया था। " कीन्स ने वणिकवादी सिद्धान्तों में कुछ मौलिक सच्चाइयों को मालूम किया था, उदाहरणार्थ, मुद्रा केवल निवेश का माध्यम ही नहीं, वरन् मूल्य के संचय का माध्यम है। इसीलिए कीन्स ने कहा था कि " राज्य शासन की कला, जिसका सम्बन्ध सम्पूर्ण आर्थिक प्रणाली तथा समस्त साधनों के आदर्शतम उपयोग से होता है, के योगदान के रूप में 16वीं शताब्दी में प्रारम्भिक आर्थिक विचारकों ने जो विधियाँ अपनायी थीं, वे व्यावहारिक बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण थी जिनको रिकार्डो की अव्यावहारिकता ने भुला दियाथा। "

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
  5. प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
  9. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
  10. प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
  11. प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
  13. प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
  23. प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  25. प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
  26. प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
  33. प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
  34. प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  35. प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  36. प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
  39. प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
  40. प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  44. प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
  47. प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
  48. प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
  49. प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
  50. प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
  51. प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
  54. प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
  56. प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
  57. प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
  58. प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
  60. प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
  61. प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
  62. प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
  63. प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
  66. प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
  67. प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
  68. प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  74. प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
  75. प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  76. प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
  79. प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
  80. प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  81. प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
  82. प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  84. प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  86. प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
  88. प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
  90. प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
  91. प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
  92. प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
  93. प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
  94. प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
  95. प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
  96. प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  97. प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
  100. प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
  102. प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
  106. प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
  107. प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
  108. प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  109. प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
  112. प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
  113. प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  114. प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  115. प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
  117. प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  118. प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  119. प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
  120. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  122. प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  123. प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
  124. प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
  125. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
  126. प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  128. प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
  131. प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
  132. प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
  133. प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
  135. प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
  136. प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
  137. प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
  138. प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  139. प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
  140. प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  141. प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
  143. प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  146. प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
  147. प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  149. प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  151. प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  152. प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
  153. प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
  154. प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  155. प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
  156. प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  159. प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
  160. प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
  162. प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  163. प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
  164. प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  165. प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  166. प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  167. प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  169. प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
  170. प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book